आशियाना
आशियाना
कोई नुर, कोई हसीन, कोई परी,
कोई तो देखे हमारे आशियाने को,
हवस की भूख नहीं प्रेम की प्यास है,
कभी तो आजमाइए हमें हमारे आशियाने को।
रास्ता मंजिल की है एक अनसुलझी पहेली,
आके सुलझाइए हमारी पहेलियों को,
छूने की तड़प नहीं है देखने की तरस है,
ख्वाब तो दीजिए हमारे रिक्त सपनों को।
मर्ज बन गया है ये इंतज़ार तेरा,
हाल तो पूछिए मेरा कभी हमारी दवाइयों को,
तूफान का डर नहीं बरसात से लगाव है,
लुफ्त उठाने दीजिए अपने जज्बातों को।
सारे बहाने अब रूठ गए,
कुछ नया ना बाकी रहा अब कहने को,
भूलकर ही सही,जानबूझकर ही सही,
कोशिश तो कीजिए हमें अपनाने को,
कभी तो आजमाइए हमें हमारे आशियाने को।