नारी
नारी
जो करना था वो सब कर चुकी है,
सब कुछ वो अब सह चुकी है,
उसे उसका इनाम दो,
अब वो थक चुकी है,
उसे अब आराम दो।
'छपाक' से खोके वो
फिर पहचान पा चुकी है,
साहस का प्रमाण वो
'मर्दानी' बन दे चुकी है,
उसके बलिदान को
तुम सम्मान दो,
अब वो थक चुकी है,
उसे अब आराम दो।
बलिदान वो 'पदमावत'
में दे चुकी है,
सभी मुसीबतों से वो
'पंगा' ले चुकी है,
उस नए अरमान दो,
अब वो थक चुकी है,
उसे अब आराम दो।
धैर्य से वो सभी समीक्षाएं
झेल चुकी है,
ईमान से वो प्रसन्न
कर चुकी है,
उसे अपना साथ दो,
अब वो थक चुकी है,
उसे अब आराम दो।
वीर, बुद्धि, विज्ञान में
योगदान वो दे चुकी है,
काली उसके अंदर की
अब भड़क चुकी है,
उसे ना अपमान दो,
अब वो उठ चुकी है,
उसे सम्मान दो, उसे प्यार दो,
उसे उसका अधिकार दो।