गाँव की याद आ गई...
गाँव की याद आ गई...
यूहीं अचानक आज गाँव की याद
आ गई है,
उन खिलखिलाते खेतों की हरियाली
याद आ गई है,
थोड़ा अजीब ही सही मगर,
खेतों में गन्ना चूसने की बात याद
आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
रिश्तों के बंधन की कुछ मिठास
याद आ गई है,
धुँधली ही सही मगर,
तस्वीर याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
मिट्टी के सौंधी खुशबू याद आ गई है,
कच्चे ही सही मगर,
यूं मकानों की याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
स्वादिष्ट भोजन के स्वाद की याद
आ गई है,
देशी ही सही मगर,
दादी के हाथ की स्वाद याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
वो कुटिया के खेलकूद की याद आ गई है,
हार ही सही मगर,
दोस्ती की जीत की याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
तालाब और नदियों के पानी की याद गई है,
मैला ही सही मगर,
उन में नहाने की बात की याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।
मास्टर जी की वो डांट याद आ गई है,
पढ़ाई ना सही मगर,
जीवन की मूल्यों की याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है,
आज मुझे गाँव की याद आ गई है।