STORYMIRROR

Gaurav Shrivastav

Abstract

3  

Gaurav Shrivastav

Abstract

बेरोजगारी

बेरोजगारी

1 min
367

कैसा भाई तेरा रुतबा,

क्या ये कमाल है,

नीचे पहनी पैंट नीली,

ऊपर टोपी लाल है,


पहन के निकला शुटबुट,

बदली हुई चाल ठाल है,

मिल गई क्या कोई लड़की,

मेरा ये सवाल है ?


वो बोला -

मिल जाए मुझे कोई लड़की,

कहा मेरा ऐसा हाल है,

पहन के निकला हूं नौकरी लेने,

बेरोजगारी ने किया ये बवाल है।


मैं बोला-

रो मत भाई मिल जाएगी नौकरी,

ऊपर देख रहा महाकाल है,

नौकरी होगी फिर मिलेगी छोकरी,

ये देश अपना कमाल है।


सांत्वना सुन के वो चला गया,

देखो कैसी किस्मत का हाल है,

लेके बैठा है डिग्री ऊंची,

फिर भी सूखे हुए गाल है।


हतोत्साहित ना होना तुम,

ये तो जिंदगी का सवाल है,

कभी गलत तो कभी सही,

सबका यही हाल है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract