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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

4  

Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

हम दूर ही सही है

हम दूर ही सही है

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दूर से जो चाँद देखा था,

पास से उसमें वो बात नहीं हैं...

पास आकर हम और दूर हो गए,

इसलिए हम दूर ही सही हैं....


चमक फीकी सी पड़ गई,

दाग़ सभी उभर गए..

चाहत थी हमें जिसकी, 

पाकर उसे हम डर गए...

रहीं नहीं अब ख़्वाबों में जान,

लाश उसकी अभी भी वहीं हैं ...

पास आकर हम और दूर हो गए,

इसलिए हम दूर ही सही है ...


दूर के ढोल सुहाने थे,

था वो मंज़र श्वेत सा...

आए जो उसे मुट्ठी में भरने, 

फिसल गया हाथों से रेत सा...

रहा नहीं अब वो प्यारापन, 

अब फ़िर वो जज़्बात नहीं है ...

पास आकर हम और दूर हो गए,

इसलिए हम दूर ही सही है ....


दूर से जो चाँद देखा था,

पास से उसमें वो बात नहीं हैं...

पास आकर हम और दूर हो गए,

इसलिए हम दूर ही सही हैं....


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