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अरविन्द त्रिवेदी

Abstract

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अरविन्द त्रिवेदी

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मुक्तक

मुक्तक

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प्रतिदिन देखो इस दुनिया की,

तस्वीर बदलती रहती है।


लोगों के हाथों की अक्सर,  

तकदीर बदलती रहती है।


जग में प्यासे कंठ भटकते,  

सरिताओं ने राहें बदलीं


समय-समय पर हृदयों की भी,

अब पीर बदलती रहती है।


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