वो चट्टान ढूँढ लीजिये
वो चट्टान ढूँढ लीजिये
ख्याल ए समन्दर के किनारे बैठा था
क्या क्या ख्याल, ख्याल और ख्याल
ख्याली रेत के पहाड़ और कुछ चट्टान
सख्त चट्टान जिस पे बैठ के किया जाए ख्याल
ख्यालों के पहाड़, पहाड़ों पे बैठे हम
फिर डूब जाते हैं समन्दर में
रेत ऐसी जो वज़न न ले पाती हमारा
(ख्यालों का वज़न भी)
रेत है छलावा, मुसलसल
इस रेत को छोड़ आ जाते हैं किसी
चट्टान पे जो दे हमें सहारा
रिश्ते हैं वो चट्टान
आप मानो या न मानो
रेत का सब
चट्टान ही ढूँढिये कोई
हो सके तो सबसे मजबूत
हाँ, ऊपर वाले की चट्टान
आपके इर्द गिर्द ही है न
ढूँढ लीजिये न
बड़े काम आयेगी आपके।
मुसलसल = निरंतर