वो ठेकेदार
वो ठेकेदार
विकास के ठेकेदार, विकास के ढोंगी
जीवन की राहों में तुम हो अजब ही पोंगी
अज्ञान की दीप्ति से तुम हो जगमगाते,
सबको मार्ग से भटकाते , तुम हो टपोरी
विकास के ठेकेदार, तुम हो विनाशी
जीवन की धारा को तुम हो तोड़ते
निकरष्ट् सोच, तुम हो निष्ठुर
सबके विनाशक,तुम नेता टपोरी
विकास के ठेकेदार, तुम हो घंटाल
विनाश की राह में तुम हो कमाल
जीवन की राहों में तुम हो दिशाहीन
सबको निठल्ला बनाते, तुम नेता विशेष।
विकास के ठेकेदार, तुम हो बदमाश
घोर निकम्मे,तुम हो परपंची
जीवन की धारा में तुम हो एक विष
सबको निठल्ला बनाते,तुम हो कठमुल्ले।