वो प्रामिस किस काम की
वो प्रामिस किस काम की
वो प्रामिस किस काम की
जिस पर टिकें न दावेदार
चुनाव जीतते अपनाते हैं वो
प्रवासी पक्षियों सा किरदार
पांच साल में सिर्फ चुनाव के
वक्त सुनाई देती उनकी कूक
चुनाव के बाद वो भुला बैठते
मतदाताओं के हक औ हुकूक
उनके मन, वचन, कर्म में नहीं
दिखे लोकतंत्र के प्रति सम्मान
जन प्रतिनिधि बनते ही जुटा लेते
वो गाड़ियां और कोठियां तमाम
जन प्रतिनिधियों पर लगाम को
इच्छुक नहीं कोई भी संस्थान
सत्ता मद में रौंदते घूमते वे सभी
देश के नियम, कानून औ विधान
तब खुद को ठगा महसूस करता है
देश का हरेक आम मतदाता
जब उसके मतों से विजयी हुआ
नेता उसको ही है आंख दिखाता