नीति-आयोग.
नीति-आयोग.
नीति-आयोग
लोक-प्रियता के आलेखकी दिखी जब दुरगती,
याद आया जनता के विकासको देना हैं गती.
विकास बढाने की नहीं हैं कोई सरकारी नीति,
फिर जन-योजनाओं के लिए बना आयोग़-नीति.
योजना आयोग की जगह लेगा आयोग नीति,
जो उबार सकता गिरती लोक-प्रियता की दुरगती.
नीति –आयोग़ के जुमलें से मिलेगीं फिर सहानभुती,
नीति-आयोग ही करेगा जनता की फिर आगे दुरगती.
बस अगले पांच साल करना हैं,
एक –एक करके नया नारा बुलंद.
ताकि विपक्ष और जागृत जनता का हो मुंह बंद.
ऐसा ही चलता रहें समय का यह द्वंद,
ताकि विकास के सभी हो रास्ते बंद,
समय-समय पर छोडते रहेगें जुमले चंद.
अच्छे दिनों के आग की लपटें ताकि हो मंद,
इंतजार में आम आदमी का रहे मुंह बंद.
आम चुनाव से पहले विपक्षको करेंगे ईडी में बंद,
नये जुमलों की बरसातसे होंगी जनता चका-चौंद.
आम जनता को कर लेगें इस तरह नजर बंद ,
आम जनता वोट देने को हो जाएगी फिर रजामंद।