हिन्दी मेरी प्यारी भाषा
हिन्दी मेरी प्यारी भाषा
सन्दल मेरी हिंदी का जग को महकाता है,
कोई भी भाव हो इसमें सहज हो ही जाता है,
मेरी हिन्दी मेरी माँ की तरह प्यारी है मुझको,
मैं जो भी लिखती हूँ नमन हो ही जाता है।
मुझे हिन्दी बुलायेगी तो चलकर आऊँगी मैं,
मुझे उर्दू ने दी आवाज रुक नहीं पाऊँगी मैं,
मुझे दोनों ही प्यारी हैं, मेरी दोनों सहेली हैं,
किसी एक को ज्यादा भला कैसे चाहूँगी मैं।
तराना हिन्द का हिन्दी में गाओ तो बहुत अच्छा,
धुन कोई मिलकर बनाओ तो बहुत अच्छा,
प्रीत से बरसेंगे बादल, दीप भी जायेंगे जल जल,
स्वर मेरी कलम से ले के जाओ तो बहुत अच्छा।
