STORYMIRROR

Jyoti Sagar Sana

Others

4  

Jyoti Sagar Sana

Others

सुख और दुख

सुख और दुख

1 min
316

कितना मुश्किल होता है,

भरना शब्दों की गागर।

जब लगे छलकने पल पल,

मन की पीड़ा का सागर।

अभाव से ले लेते जन्म,

रुदन, क्रंदन के भाव।

अधरों पर झूठी मुस्कान,

अंदर अंदर रिसते घाव।

सारे ही अपने रूठ गये,

चमकीले सपने टूट गये,

कुछ अनजानों की खातिर,

अपनो से रिश्ते टूट गये।

जीवन तो चलता ही जाये,

जैसे हो कोई अनन्त यात्रा।

कर्मों से ही तय होगी इसमें,

सुख और दुख की मात्रा।

तो आओ बना लें खुद को,

एक बेहतर सा इंसान।

दुख सहकर ही जग में,

मिलता मान सम्मान।



Rate this content
Log in