हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ
मैं भारत की बिंदी हूँ
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
जबसे जन्म लिया है,
यहाँ पे मैं तो चिंदी हूँ।।
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
मेरी आँखों के आगे अंग्रेज़ी थी आई,
देखो बच्चों-बूढ़ों पर कैसी है अब छाई,
पर मां को ही भूल गये तो मैं शर्मिंदा हूँ।
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
पर क्या मेरे बेटों तुम अब तक हो सोये हुए,
सुख-सपनों में अब तक क्या तुम तो हो खोये हुए।
आस तुम्हारी के कारण मैं अब तक ज़िंदा हूँ...
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
देखो भाषा के चक्कर में बिखर गया मेरा हिंदुस्तान,
और उधर आगे निकले हैं देखो चीन और जापान।
उनकी अपनी भाषा मैं भी यहाँ की ही बाशिंदा हूँ...
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
मैं भारत की बिंदी हूँ,
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ।।
