"ममता की मुरत"
"ममता की मुरत"
ममता की मुरत हैप्यारी सी जिसकी सुरत है
पल पल रहती जिसकी जरूरत है
माँ से ही तो दुनिया ये इतनी खूबसूरत है
त्याग की देवी जिसे हम कहते है
साये में जिसके हम रहते है
संतान के दर्द में आँसू जिसके बहते है
सम्भाल कर रखना तुम उसे,
अनमोल है माँ, हम कहते हैं
करूणा का बहता सागर है
जीवन का रहता सार है
प्रभु का कहता विस्तार है
माँ से ही बनता ये संसार है
पवन में पुरवाई है
राग में जो सहनाई है
लक्ष्मी का रूप लेकर आई है
संग अपने खुशियों की सौगात लाई है।
