पैसा प्यारा है
पैसा प्यारा है
पेसे से हो कामकाज, पैसा ही भगवान है,
पैसे बिना आदमी की, रहती नहीं शान है,
पैसे बिना कोई किसी का, ना करता सम्मान है,
ब्याह शादी में पैसे बिना, आदमी बिरान है,
पैसा ही गुणवान और, पैसा सबकी जान है,
जिसके पास पैसा नहीं, वो दु:खी इन्सान है,
पैसे सै भी हो जाती है, खामेखां की जेल।।3।।
तीन देव पैसे के, पांचों रहते इसके साथ,
पैसे के काबू में रहती है, छत्तीस की जमात,
पैसे ही की दुनियां सारी, पैसे ही की पंचायत,
पैसा सबका प्यारा होता, पैसे के ना होती जात,
पैसे ही का बैर भाव, पैसे ही की करामात,
पैसे ही के लालच में, कविता गाता है रघुनाथ,
पैसा देई देवता जग में, दिया बाती तेल।।4।।