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Gagandeep Singh Bharara

Classics Inspirational

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Gagandeep Singh Bharara

Classics Inspirational

मां, तेरा आंचल

मां, तेरा आंचल

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तेरे मुस्कुराते चेहरे

के पीछे,

छुपी हर बात को

मेरे मन के आइने

में देखा है, मैंने

अपने हर दर्द को

छुपा के आंचल में

ज़िन्दगी को संभालते

देखा है, मैंने


कभी पलकों के पीछे,

कभी आंचल के नीचे,

कभी दांतों से दबा कर

सिसकते होंटों में रोक

अपने बच्चों को

बचाते,

देखा है, मैंने।


ज़िन्दगी के थपेड़ों

में, वक़्त से पहले

तुमको झुर्रियों

में ढलते,

देखा है, मैंने,

हर कदम खुद को

पीछे कर

हमको, आगे करता

देखा है, मैंने।


जीवन की हर

देहकती धूप में

अपने आंचल

की छांव से बचाते

देखा है, मैंने

हर ख्वाब में तुम्हारे,

हमारे अरमानों

को संजोता

देखा है, मैंने।


मां, तुझे अपने

जीवन को

अपने आंचल में

ओझल करते

देखा है, मैंने।


मेरे शब्दों की सीमा

नहीं, जो तुम को

इनके दायरे में

समा सके,

बस तेरे आंचल

में खुदको

सिमटते,

देखा है, मैंने।।


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