STORYMIRROR

Babu Dhakar

Classics Inspirational

4  

Babu Dhakar

Classics Inspirational

नादान

नादान

1 min
196

आदान प्रदान किया हमनें

नादान हमें बना दिया तुमने

बागों के फूलों से कोमल हम 

नादान हुए जो बने माला हम ।


एक अकेला फूल खिला खिला लगता है

माला का घेरा एक जंजीर लगता है 

सुंगध तो थी एक एक फूल में ही जनाब

पूरी माला जिसे अपनी समझने लगती है ।


नाराज़ नायक की आज जरा फिक्र करलों

जो राज है सहायक उसकी कद्र कर लो

यूं तो हर हाल में बेहाल मन रहता है

जो भी हो‌ हाल पर फिलहाल इससे नादान हो लो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics