Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Swati Kashyap

Abstract Classics

4.8  

Swati Kashyap

Abstract Classics

उम्मीदें :

उम्मीदें :

1 min
392



जिंदगी की उम्र इतनी लंबी नहीं

की खुशियों को समेट लें


पर जिंदगी इतनी छोटी भी नहीं

की किसी का दर्द ना बांट लें


बीते कल के लम्हें तो यादें बन जायेंगी

आज को जी ले ऐ बंदे

ना जाने कल जिंदगी किस रंग में ढल जायेगी


वक़्त का क्या वक़्त ठहरता नहीं

तू वक़्त के साथ चल मंजिल मिल ही जायेगी


दिल में ख्वाहिशों को मचलने दे

ना जाने जिंदगी के किस मोड़ पे पूरी हो जायेगी


चेहरे पे मुस्कान बिखेरकर

उन एहसासों को गले लगा ले

ना जाने फिर कब सुकून मिल पायेगी


आंसुओ में भी थोड़ी खुशी ढूंढ ले जरा

क्या पता जिंदगी कब मुंह मोड़ जायेगी


जिंदगी को बेफिक्री से जी ले ऐ बंदे

जिंदगी का क्या मिट्टी से बनी मिट्टी में मिल जायेगी


जिंदगी है तो उम्मीदें हैं

उम्मीदें हैं तो हौसले हैं

हौसलों की डोर से 

जिंदगी की कश्ती बढ़ती जायेगी !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract