हिजरत(पलायन)
हिजरत(पलायन)
हुक्मरानों से है मेरी, बस इतनी ही शिकायत।
क्यों कर रहे मजलूम, आपके शहर से हिजरत?
नहीं है गरीबों को, तख्त-ओ-ताज़ से मोहब्बत।
यूँ मत करो अपने ही हमजादों से तुम अदावत।
उन्हें चाहिए दो जून की रोटी संग एक अदद छत।
ये मौलिक अधिकार देकर, बढ़ाओ उनकी इज्ज़त।