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Deepti Tiwari

Abstract

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Deepti Tiwari

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हौसला

हौसला

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आसमान के उस छोर तक जाना है मुझे,

बस खींचे कोई डोर ,पहुँचा दे उस ओर,

मुझे भी जाना है.

ना ऊँचाई का डर है

ना गिरने का भय है

ले परिंदो के पंख उधार ,

उड़ जाऊँ उस ओर,

जिस ओर मुझे जाना है

बस खिचे कोई डोर ,पहुँचा दे मुझे उस ओर

कड़ी तपस्या कि है मैने,

बडी़ समस्या हल कि है मैने,

अब बेसबरी मन की ओर

बस खिचे कोई डोर

मन की चिंता बड़ रही है

पंख है पर उड़ान नही है,

भय का साया आँखो पर छाया,

आखिर यह सब है किसकी माया

नही रहना इस ओर

अब बस खिचे कोई डोर

सारे भरम हटा दूंगी

पंख बड़े लगा लूंगी

मार छलांग हौसले कि

बढ़ जाऊगी तेरी ओर

अब नही चाहिए कोई डोर

खुद ही बढ़ जाउगी तेरी ओर

आसमां तक उड़ जाऊगी

मिटा के सारे दऱद जखम मै

चली हूँ मै आसमां की ओर

ना रोको कोई ,मै चली आसमां की ओर

अब ना खींचे कोइ डोर!



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