हैलमेट
हैलमेट
मैं हैलमेट
जिसे पहन मौत पर विजय तुम हो पाते,
पर फिर भी पहनने से हो कतराते,
क्योंकि अहम की माला पहन हो जीते,
सदियों से तुम मुझे हो पहनते,
पहले युद्ध भूमि में पहन विजय थे पाते,
आज तुुुम लोह अश्व पर सड़कों पर निकलते,
पर ये सड़कें युुद्ध के मैदान से कम नहीं,
फिर भी मुझे पहनना भूल जाते।
मैं विभिन्न धातुओं से निर्मित,
हर समय तुम्हारी सुरक्षा के लिए तत्पर,
अभी लोह अश्व के साथ खरीदना है अनिवार्य,
तो तुम पहनना भूल जाते,
कभी आदत नहींं, कभी दम घुटता है,
कभी होनी को कौन टाल सकता है,
कभी यहाँ तक ही तो जाना है,
कभी ये सब राजनीति है,
कभी पुलिस ने खाने कमाने का नया ढंग निकाला है,
न पहनने के कितने बाहने बनाते ।
मैं हैरान हूँ,
जब माँँ-बाप करोड़ों की बाईक हैं खरीदते,
पर मेरे लिए कंंजूसी हैं दिखाते,
रोज सड़कों पर हादसे हैं देखते,
पर फिर भी अच्छे से नहीं समझाते,
पहनने से बाल खराब हो जाते,
यह कह एक तरफ रख जाते,
नहीं तो बाइक के हैण्डल को ही पहना देते ।
आजकल तो बालाएं भी झांसी की रानी हैं बनी,
जहाँ देखो दो पहिया वाहन ले उड़ती फिरती,
पर मुझे सर पर रखने से शान है कम होती,
एक दिन देखा एक माँ अपने बच्चे को दुपट्टे से बाँधे,
वाहन चला रही थी, सामने से कुत्ते जी आए,
खुद सड़क पर जा गिरी उसे बचाते बचाते,
सर से खून की फुहार फूट पड़ी,
बच्चे की भी सांंस फूल गयी रोते-रोते,
एक जरा सी नादानी,
कर देती हैं अपनो को दूर चलते चलते,
मैं गैर नहीं,
तुम्हारा अपना हूँ,
तुम्हारे सर का सुरक्षा कवच,
मुझे धारण करना हर बार सवार होते होते।