हिंदी दिन के उपलक्ष्य में चलो हिंदी का हाथ थामे। हिंदी दिन के उपलक्ष्य में चलो हिंदी का हाथ थामे।
कभी पुलिस ने खाने कमाने का नया ढंग निकाला है, न पहनने के कितने बाहने बनाते । कभी पुलिस ने खाने कमाने का नया ढंग निकाला है, न पहनने के कितने बाहने बनाते ।
टिमटिमाते रात भर तारे उभरकर ज्यों गगन में शीर्ण वस्त्रों के झरोखे खिलखिलाते त्यों बदन में... टिमटिमाते रात भर तारे उभरकर ज्यों गगन में शीर्ण वस्त्रों के झरोखे खिल...
पर हम तो जन्मो से ही कंजूस हैं कोई कुछ भी कहे हम उनके जवाब देते नहीं ! पर हम तो जन्मो से ही कंजूस हैं कोई कुछ भी कहे हम उनके जवाब देते नहीं !