हाँ यही प्यार है
हाँ यही प्यार है
एक साइकिल के दो पहिये
एक मैं, एक तू
कभी रुठे कभी मनाये,
कभी एक दूसरे को
गैर जिम्मेदार ठहराये
फिर भी एक दूजे बिन
चल न पाये, क्या यही प्यार है
एक घड़ी की दो सुइयां,
एक मैं, एक तू,
कभी मिलते ,कभी बिछड़ते,
कभी एक दूसरे से खफा रहते
फिर भी हर मुश्किल मे साथ निभाते,
क्या यही प्यार है
ना तेरे बिन मेरा गुजारा,
ना मेरे बिन तेरा कोई सहारा
फिर भी बात बात में
लड़ते झगड़ते एक मैं,
एक तू है एक दूसरे से
बिल्कुल जुदा,
फिर भी एक दूजे बिन अधूरे,
क्या यही प्यार है
हाँ यही प्यार है।
