हादसा
हादसा
ख्यालों में खो गया है मन , भाग जाना चाहता है इस ज़माने से कहीं दूर
पल पल बस टुकड़ों में जी रहे हैं।
अपनी लाचारी को साथ लिए, एक झूठे लिबाज़ में ख़ुद को छुपाए हुए हैं।
सोचती हूं कि ये सब क्यों सोचना है ?
ज़माना यूं ही तो हमेशा से झूठा दिखावा करता आया है ।
हम, तुम खुश कौन है यहां ?
बस हजारों सवाल में उलझे उलझे अपनी सच्चाई से भागते फिर रहे हैं। अपने अस्तित्व को खौफ़ में छुपा रखा है ।
मेरा इनसे दूर रहना ठीक है ।