मैं तुम्हारे लिए क्या हूं
मैं तुम्हारे लिए क्या हूं
मैं तुम्हारे लिए क्या हूं?
तुम मेरे जीवन का रंग हो
तुम मेरे जीने का ढंग हो
तुम मेरी बंजर ज़िंदगी की बरसात हो
तुम मेरी हर जनम की जात हो।
तुम मेरा हर ख़्वाब हो
तुम मेरी नसों में बसी शराब हो
मैं मुझमें कम , तुम मुझमें ज़्यादा हो
तुम ,हर नुकसान में हुआ मेरा फायदा हो।
तुम मेरी ज़िंदगी के पैमाने हो
जिसे मैं सबसे छुपा लूं, वो कारनामे हो।
तुम मेरी लिखी हुई कविता हो
अगर मैं जेठालाल तो तुम मेरी बबिता हो।
तुम हो तो मैं गाता हूं
तुम हो तो मैं गुनगुनाता हूं।
तुम मेरी ज़िंदगी का वो किस्सा हो
जो मुझे मुझमें पूरा करता है तुम वो हिस्सा हो।।