गज़ल
गज़ल


जब से देखा है तुझे, तू दिल में उतर गया है
मुन्तज़िर मेरी आँखों में ख़्वाब ठहर गया है
अब तो ये साँसें भी, तेरी मोहताज लगती हैं
तेरा इश्क़ लहू बनके रग-रग में उतर गया है
कमाल की होती है इन हसरतों की तबियत
तेरी याद आने भर से जिस्म सिहर गया है
जब भी दुआ की हमने तुम्हें अपना बनाने की
नज़र के सामने टूटा हुआ तारा गुज़र गया है
इश्क़ में उदासी का आलम उस आँख से पूछो
बिछड़ के बहुत दूर जिसका हमसफ़र गया है
मिलना और बिछड़ जाना दुनिया का दस्तूर है
दुनिया के मेले में इधर गया कोई उधर गया है