सुनो तुम हमें यूं भूलाना नहीं
सुनो तुम हमें यूं भूलाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं
कभी याद करना तुम बातें हमारी
वो सागर वो लहरें वो रातें हमारी
जहाँ बैठ हमने गिने थे सितारे
जहाँ पर कभी हम हुए थे तुम्हारे
उस साहिल से हमको बुलाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
कभी दिल पुकारे मेरा नाम फिर से
कभी याद आऊँ जो बारिश के डर से
कभी डायरी तुम जो खोलो सनम तो
कभी गर सताये वो माज़ी का ग़म तो
मेरी जान ख़ुद को रुलाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
दिल में बहारों का मौसम जो आये
गुलों के नज़ारों का मौसम जो आये
समझ लेना बाहों में हो तुम हमारी
मिटा लेना जो भी रहे बेक़रारी
किसी और से दिल लगाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
कभी चाँद गर स्याह लगने लगे जो
कभी तीरगी दिल में बढ़ने लगे जो
कभी रौशनी की ज़रूरत तुम्हें हो
चराग़ों से मिलती मोहब्बत तुम्हें हो
मगर यार ख़ुद को जलाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
कभी याद करना वो शाखें शजर की
वो किस्से कहानी वो बातें सफ़र की
वो मेरा हमेशा ये कहते ही रहना
मुझे बस तुम्हारे ही दिल में है रहना
कहीं और मेरा ठिकाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
लिपटना मचलना बिगड़ना तुम्हारा
रह रह के रुक रुक के लड़ना तुम्हारा
बाद-ए-सबा में महकना तुम्हारा
चमन में ख़ुशी से चहकना तुम्हारा
किसी को भी ये सब बताना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
सहरा पुकारे है दरिया को जैसे
कभी मैं पुकारूँगा तुमको भी वैसे
तड़प कर मेरी ओर आना सनम तब
औ' कस कर गले से लगाना सनम तब
कहे जो भी दिल वो छुपाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।।
कभी याद करना वो किस्से कहानी
मैं छोटा सा राजा तू प्यारी सी रानी
कितनी मोहब्बत से कहती थी तुम तब
तुम्हीं इश्क़ हो और तुम हो सनम अब
ये किस्से किसी को सुनाना नहीं
सुनो तुम हमें यूँ भुलाना नहीं।