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Rishabh kumar

Others

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Rishabh kumar

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किसी का होने न दिया

किसी का होने न दिया

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वक्त बुरा था सो बुरा ही रहने दिया,

जो दिल में था उसे दिल में ही रहने दिया।


न कोई आज़माईश की न कोई नुमाइश की,

तुम्हारे बाद जिसे जाना था उसे जाने दिया।


ये दिल चाहता था तो फिर धड़क सकता था,

मगर इस दफ़ा मैंने इसे कहने नहीं दिया।


ये इल्म तो थी कि झुके हुए शज़र तन्हा नहीं रहते,

मैंने कभी साये में धूप नहीं आने दिया।


इतनी तालीम तो थी मुझमें "एहसास",

कि फिर उसको भी किसी का होने नहीं दिया।


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