STORYMIRROR

Rishabh kumar

Others

3  

Rishabh kumar

Others

किसी का होने न दिया

किसी का होने न दिया

1 min
316

वक्त बुरा था सो बुरा ही रहने दिया,

जो दिल में था उसे दिल में ही रहने दिया।


न कोई आज़माईश की न कोई नुमाइश की,

तुम्हारे बाद जिसे जाना था उसे जाने दिया।


ये दिल चाहता था तो फिर धड़क सकता था,

मगर इस दफ़ा मैंने इसे कहने नहीं दिया।


ये इल्म तो थी कि झुके हुए शज़र तन्हा नहीं रहते,

मैंने कभी साये में धूप नहीं आने दिया।


इतनी तालीम तो थी मुझमें "एहसास",

कि फिर उसको भी किसी का होने नहीं दिया।


Rate this content
Log in