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Ajay Prasad

Classics

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Ajay Prasad

Classics

गज़ल नहीं कहता

गज़ल नहीं कहता

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आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता

मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता ।


मेरी रौशनाई है हक़ीक़त के पसीने से बनी

कभी हुस्न के ज़ुल्फों को बादल नहीं कहता ।


बदहाल तक़दीर,मेहनत मशक़्क़्त की तस्वीर

फटेहाल नौजवाँ को प्रेमी पागल नहीं कहता ।


ज़ुर्म लगती हैं जरूरतें, दम तोड़ती हैं उम्मीदें

गुरबते ज़िन्दगी में होगी खलल नहीं कहता ।


चीख रही है खामोशी से,खुदाई भी खुद्दारी में

जितेगी सच्चाई अंत मेंआजकल नहीं कहताl

मैं भी तो हूँ आखिर एक आदमी ही अजय

करूंगा हमेशा उसूलों पर अमल नहीं कहता l



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