गुरु
गुरु
गुरु बिना घोर अंधेरा,
गुरु बिना नहीं कोई मेरा,
ज्ञान के दीप जलाए गुरु ने,
भ्रम तज मार्ग दिखाए गुरु ने।
धर्म, दया, मूल्य और नियम से,
बुद्धिजीवी बनाए गुरु ने
अनुशासन और कड़े जतन से,
उत्तम व्यक्तित्व सजाए गुरु ने।
गुरु के रूप कई जीवन में,
उच्च ज्ञान जो हमको दिखलाए
माता गुरू बन स्वर समझाए,
पिता गुरु बन चलना सिखा।
धर्म ज्ञान को गोविंद गुरु भय,
विद्यालय में मास्टर जी आए।
जीवन के पथरीले पथ पर,
कैसे संतुलन रखना है ?
कदम-कदम हरि नाम को जपकर,
कैसे, क्या, कब, क्यों करना है।
सारा पाठ गुरु जी सिखाते
हर एक बात गुरुजी समझाते
हँसा-हँसा कर रुला धुलाकर
हर एक संभव यत्न जुटाकर,
हमको सुंदर व्यक्तित्व बनाते
हमको मानवता से खिलाते...
ऐसे सारे गुरुजनों को......
हम हाथ जोड़कर नमन बुलाते
हम हाथ जोड़कर नमन बुलाते।।