STORYMIRROR

Ramandeep Kaur

Inspirational

4  

Ramandeep Kaur

Inspirational

मैं एक नारी हूं...

मैं एक नारी हूं...

1 min
430

मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन 

हां जी नहीं पाऊंगी तुम बिन।


चाहे रिश्ते हजार मिल जाए,

पर साथ ना कोई भी तुम बिन,


चाहे नाम अनेकों पड़ जाएं,

पहचान नहीं मेरी तुम बिन,


चाहे काम पहाड़ से बढ़ जाएं,

पर शक्ति नहीं होती तुम बिन,


चाहे वक्त बहुत कम रह जाए,

पर मूल्य नहीं मेरा तुम बिन।।


यह तय है, मेरा अनुभव है, 

मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन…


तुम! 

कौन हो तुम ?


तुम मेरी हस्ती का कारण हो,

तुम मेरा स्वाभिमान भी हो।


तुम मेरे अंदर दहक रही,

प्रकाश पुंज की ज्वाला हो।


मैं एक नारी हूं और शक्ति भी,

तुम मेरा आत्म संभल हो..


तुम मेरा संयम कोष भी हूं, और 

ममता की नौ निधि धारा भी..


तभी....


चाहे कोई साथ ना रह पाए, 

पर साथ मेरे तुम हो हर क्षण।


चाहे युद्ध अनेक हों जीवन में,

पर स्नेह तुम्हीं से है हर क्षण।


चाहे कोई पुकार न सुन पाए, 

तुम सुनते रहते हो हर क्षण।


चाहे मन न कहीं भी बहल पाए,

दिल को समझाते तुम हर क्षण।


तो ये तय है, मैंने देखा है, 

मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन 

मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन…



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational