Ramandeep Kaur

Inspirational

3  

Ramandeep Kaur

Inspirational

बैरी चांद

बैरी चांद

1 min
245


अक्सर मेरी खिड़की से झांककर, कुछ गुनगुनाता है बैरी चांद,

आधी अंधेरी रात में छुपता छुपाता, चांदनी मेरे मुख पर बिखर जाता है बैरी चांद

मुझसे मेरी ही मुलाकात करा कर, अपने साथ खूब हंसता हंसाता है बैरी चांद


मैं भी मायूसी में अमूमन…..

मैं भी मायूसी में अमूमन, उसी की आगोष में छुप जाया करती हूं...

उसी के शीतल स्पर्श में, रात भर खूब बतियाया करती हूं 

कह देती हूं बेझिझक सब हाल दिल का...

कह देती हूं बेझिझक सब हाल दिल का…. 

"ये मुश्किल है, ये कश्मकश, ये जद्दोजहद और ये तन्हाई,"


मुस्कुराकर चांद भी कुछ यूं मुझे संभाल लेता है,

मेरी आंखों से टपकते आंसुओं को शबनम सा पलोसकर,

मीठी बयार से मेरे बालों को सहलाता हुआ,

अपनी कहानी से जिंदगी का फलसफा समझाता है।


कहता है कि देख :

रोज घटता बढ़ता हूं मैं, कितना कुछ सहता हूं मैं,

जिंदगी के रास्तों पर यूं ही चलना सिखाता हूं मैं,

ऊंची नीची राह की पगडंडियों पर, 

मुस्कुरा कर आगे बढ़ते रहना सिखाता हूं मैं,

फिर चाहे! खुद तुम ना भी हो कोई हस्ती,

खुद तुम ना भी हो कोई हस्ती.... 

सूरज की रोशनी से ही सही, पर चमकना सिखाता हूं मैं,

चमकना सिखाता हूं मैं.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational