गुलमोहर के फूल खिला गया कोई
गुलमोहर के फूल खिला गया कोई
हमको हमीं से मुखातिब करवा गया कोई ..
इक दिन ख्यालों में जो चुपके से आ गया कोई ..
मायूसियों में ज़िन्दगी कहीं गुम सी गयी थी ..
फिर से जीने की नयी राह दिखा गया कोई .
मुस्कुराना तो जैसे हम भूल ही चुके थे ..
होठों पे हमारे चाहत के तराने सजा गया कोई ...
कब से इस दिल को था इक तेरा ही इंतज़ार ..
आगाज़ को हमारे अंजाम बना गया कोई ...
तसव्वुर को हमारे वो गुलज़ार कर गया .....
ज़िन्दगी में गुलमोहर के फूल खिला गया कोई ...
वो आया मेरे जीवन में किसी ताज़ा हवा की तरह ......
अपनी खुशबू से मेरे रोम -रोम को महका गया कोई ....
मेरी आँखों में काजल बनकर वो समा सा गया है.....
मेरे दिल में अपना आशियाना बना गया कोई....
मेरी धड़कन मेरी साँसों के हर राग में है वो ....
मेरी ज़िन्दगी को सातों सुरों से सजा गया कोई ...
हमको हमीं से मुखातिब
करवा गया कोई ....
इक दिन ख्यालों में जो
चुपके से आ गया कोई