आस का पंछी ...
आस का पंछी ...
हूँ मैं आस का पंछी मुझे उड़ने को
ये जहान चाहिए ....
मुट्ठी भर आकाश नहीं मुझको पूरा
आसमान चाहिए ....
ना सोने का पिंजरा चाहिए ना मोती
के दाने चाहिए .....
मुझको अब बस मेरे वजूद की
पहचान चाहिए ....
मुझे अब ना जंजीरों में जकड़ो ना ही
रस्मों का वास्ता दो .
मुझको अब मेरे ख़्वाबों की इक नयी
उड़ान चाहिए .....
ना रोके से रुकूंगी ना ही बंधनों में
बंधूंगी........
हासिल करने को मंज़िलें मेरे पंखो में
नयी जान चाहिए ......
हवा के रुख को मोड़ने का भी हौसला
है आज मुझमें ....
जरूर पहुंचूंगी मंज़िलों तक मुझको अब
मेरे नाम की पहचान चाहिए ......
हूँ मैं आस का पंछी मुझे उड़ने को ये
जहान चाहिए ....