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शोभना ऋतु

Romance

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शोभना ऋतु

Romance

तुमसे दो बातें कर लूँ

तुमसे दो बातें कर लूँ

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सोचा तुमसे दो बातें कर लूँ, मैं भी थोड़ा 

अपने दिल को भर लूँ

दिल की दिल में रखते हुए अब कितना 

अरसा बीत गया


सोचा तुमसे सब कुछ कह दूँ दिल का 

भारीपन कम कर लूँ

बोझिल मन की पीड़ा सहते लगता है 

इक युग बीत गया


दिल की बातें दिल में रह जाने से भी 

क्या हासिल होगा

करके तुम पर सब कुछ ज़ाहिर मैं भी 

किस्मत से थोड़ा लड़ लूँ


जो तुम मुझको अपना लोगी समझूंगा 

अब जीवन धन्य हुआ

जो ठुकराया तुमने मुझ को, नहीं मानूंगा हार 

इक बार फिर से प्रणय निवेदन कर लूँ


सब कुछ तुमसे कह कर सुन कर अपने 

सपनों में कुछ रंग भर लूँ

करके अब तुझ से इज़हार -ऐ- मोहब्बत 

दिल की कशमकश से मैं तर लूँ


सोचा तुमसे दो बातें कर लूँ, मैं भी थोड़ा 

अपने दिल को भर लूँ ...



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