गरीबों का जीवन
गरीबों का जीवन
गरीबों की हालत क्या जाने
ए अमीरों की पलंग दीवानी
है अमित के दिल में भी
एक गरीबी की निशानी।
आज़ सुनाऊं जग को मैं
एक दुःख भरी कहानी
गुज़ारा एक दिन मां -पिता संग
पी के ही बस पानी।
दुःख दर्द होता है क्या
मैंने बचपन से ही जाना
मां पिता के चरणों में रह
आज्ञा उनकी ही मानी।
मुश्किल नहीं अमीर बन पाना
गर दिल में अपनी ठानी
है कड़ी मुश्किल आज जहां में
दुःखों में साथ निभानी।
बने अमीर तो क्या हुआ
है जग की ए रीत पुरानी
यहां से जाना सबको एक दिन
ना माने इसे अभिमानी।
हो भी गरीब ख़ुश रहना यारों
होगी ईश्वर की मेहरबानी
मिल-जुलकर सुख दुःख सहना
जीवन की यही निशानी।
