गरीबी की परिभाषा
गरीबी की परिभाषा
जब से गरीबी को मैंने जाना ख्वाब देखना छोड़ दिया,
गरीबी की परिभाषा को समझा मुस्कराना छोड़ दिया।
देखी जब हालातों की सरगर्मियां भुखमरी जहान की,
ऑखों से अश्क बहने लगे हमने संवरना छोड़ दिया।
बातों ही बातों मे रात गुजारने की नौबत आ गई,
पेट में अन्न का दाना नहीं गरीबों ने आहें भरना छोड़ दिया ।
पेट में चूहे दौडते भूख से रूह जब बहुत तड़पती,
कैसें जिये जीवन ग़रीबी ने साथ अपना छोड़ दिया।
तन पर कपड़े नहीं बिलख रहा दो रोटी के लिए वो,
रूह होने लगी कमजोर पैरों ने चलना छोड़ दिया।
दो पैसे कमाने के लिए घर से निकल पडा आदमी,
तलाशता रहा उम्मीद के निशां दर पर जाना छोड़ दिया।
कोई तन से कोई मन से गरीब यही है गरीबी की परिभाषा ,
दो जून की रोटी के खातिर दर दर भटकना छोड़ दिया। ।