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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

गृहस्थ एक तपस्या

गृहस्थ एक तपस्या

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-गृहस्थ भी एक तपस्या है। 

जहां नित नई एक समस्या है।


संयमित मन को रखना होगा।

अभिमान नहीं करना होगा। 

कारण कितने भी क्रोध के बने 

पर क्रोध नहीं करना होगा। 


गृहस्थी में नियम अनेकों है जिनमें कि तुम्हें बंधना होगा।

गृहस्थी निभाना इतना आसान नहीं। 

तुमको नित तलवार की धार पर चलना होगा।


मन की इच्छाओं को बलवती होने देना नहीं। 

क्योंकि सबके सपनों को तुम्हें ही तो पूरा करना होगा।


बदले में तुम्हें कुछ मिलेगा या नहीं इस पर करना विचार नहीं। 


कर्तव्य तुम्हारे सारे हैं पर अधिकार कभी मिलेगा या नहीं? 

यह तो किसी को भी पता नहीं। 


गृहस्थ से बड़ी कोई तपस्या नहीं। 

जीवन के दिखेंगे हर रंग यहीं।

कर्मों पर केवल है अधिकार तुम्हारा, 

कर्मानुसार फल मिलेंगे, 

यह भी तो गृहस्थ को पता नहीं।


भावों का उठेगा ज्वार जब तब प्रकट कर सकेंगे नहीं।

गृहस्थी चलाने के लिए कभी नैतिकता को ताक पर रखना नहीं।


सफल तपस्या हो जाएगी। 

जब सुखी गृहस्थी चल पाएगी।

कुछ और मिले, मिले ना मिले, 

पर मन को सहज शांति और संतुष्टि निश्चित ही मिल जाएगी।


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