मुझे याद है आज भी वो हमारी पहली मुलाकात दिल जोरो से धड़के थे मुँह से ना निकली कोई बात मुझे याद है आज भी वो हमारी पहली मुलाकात दिल जोरो से धड़के थे मुँह से ना निकली ...
एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है. एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है.
अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ। अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ।
उनकी लीला तो बड़ी निराली, राई से पर्वत वो कर देते।। उनकी लीला तो बड़ी निराली, राई से पर्वत वो कर देते।।
जरूर चमक रहा होगा उनका चेहरा इस समय सुनहरी आभा से जरूर चमक रहा होगा उनका चेहरा इस समय सुनहरी आभा से
भले ही, मझधार में इस जीवन की नौका हो, मैं हूं ,और तुम भी हो,बस, इतना ही बहुत है।1। भले ही, मझधार में इस जीवन की नौका हो, मैं हूं ,और तुम भी हो,बस, इतना ही बहुत ...