अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ। अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ।
याद है हमें वो पल सारे याद है हमे वो पल सारे दोस्तो का दोस्तो के साथ रहना याद है हमें। याद है हमें वो पल सारे याद है हमे वो पल सारे दोस्तो का दोस्तो के साथ रहना याद...
तुम्हें बंजारों सा खोजता है काश! तुम मेरे आहत भावनाओं का गबन करके तुम्हें बंजारों सा खोजता है काश! तुम मेरे आहत भावनाओं का गबन करके