सोंच का समन्दर कुछ गहरा इतना निकला राही, के उम्मीदों की गाड़ी को लहरों पर चलाना पड़ा।। सोंच का समन्दर कुछ गहरा इतना निकला राही, के उम्मीदों की गाड़ी को लहरों पर चलान...
अरुण और नीतू दोनों की आंखों से मानों आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा हो।और दोनों हमेशा के लिए अरुण और नीतू दोनों की आंखों से मानों आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा हो।और दोनों हमेशा...
चाह नहीं मेरी की ओहदासीन होकर इठलाऊं, जो प्रभु की इच्छा है उसमें क्यों तिलमिलाऊं! चाह नहीं मेरी ... चाह नहीं मेरी की ओहदासीन होकर इठलाऊं, जो प्रभु की इच्छा है उसमें क्यों तिलमिलाऊ...
अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ। अमिट छाप छोड़ती अमर ये रचनायें प्रेमचंद को फिर श्रेष्ठ क्यों न बुलाएँ।
ख्वाब तो टूट जाते है ख्वाबो की नगरी से दूर रहो तो अच्छा, टूटे हुए ख्वाब जीने नहीं देते जीने नहीं दे... ख्वाब तो टूट जाते है ख्वाबो की नगरी से दूर रहो तो अच्छा, टूटे हुए ख्वाब जीने नह...
क्यों हमारा देश आज भी यही पर ठहरा है, क्यों राम और अल्ल्लाह का अंतर इतना गहरा है एक तरफ दिखते हिंद... क्यों हमारा देश आज भी यही पर ठहरा है, क्यों राम और अल्ल्लाह का अंतर इतना गहरा ह...