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Mansi Gupta

Others

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Mansi Gupta

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इंसानियत

इंसानियत

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चाहे खुद कभी मंदिर ना जाए,

पर फोन पर जश्न मनाना है,

हिंदू मुस्लिम-हिंदू मुस्लिम कर

लोगों को भड़काना है।


दंगे फसाद लड़ाई झगड़ों को

चिंगारी ये लगा रहे,

तभी हर बार इंसानियत के ऊपर

ये दानव बाज़ी मार रहे।


और बाकी जो रह जाए कसर

वो मिडिया पूरी करती है,

नमक-मिर्च लगी बातें सुन

ये जनता हर बार भड़कती है।


मंदिर तो बन रहा है ठीक है साहब, पर ये बात हमेशा खटकी है,

क्यो बहत्तर साल बाद भी

गाड़ी हिंदू-मुस्लिम पर अटकी है।।


क्यो बात नहीं हो रही विकास की, क्यो मंहगाई का रोना है,

क्या काम का मंदिर,

अगर गरीब को भूखे पेट ही सोना है।


क्यों प्रदूषण बढ़ रहा,

दिल्ली धूंए में पलती है,

क्यों आधा देश बेरोजगार है, जनसंख्या बेलगाम बढ़ती है।


मंदिर तो बन रहा है, ठीक है साहब पर ये बात हमेशा खटकी है

क्यो बहत्तर साल बाद भी

गाड़ी हिंदू-मुस्लिम पर अटकी है।।


क्यों हमारा देश आज भी यही पर ठहरा है,

क्यों राम और अल्ल्लाह का अंतर इतना गहरा है

एक तरफ दिखते हिंदू, दूसरी तरफ मुसलमान,

इंतजार में बैठा हूं, कहा रह गया है इंसान।


चलो इन सबसे ऊपर उठकर देश को आगे बढ़ाते है,

ना हिंदू ना मुस्लिम इंसानियत का धर्म निभाते है।।


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