मेरा पहला पहला प्यार
मेरा पहला पहला प्यार


तपती रेत सी गुजर रही थी जिंदगी मेरी युहीं गुमसुम
सावन की पहली शीतल फुहार सी बनकर बरसी हो तुम
पहली बार बंजर दिल में प्रेम का पौधा बन पनपी तुम
जिंदगी के रेगिस्तान में हरियाली की उम्मीद बनी तुम
मुझे याद है आज भी वो हमारी पहली मुलाकात
दिल जोरो से धड़के थे मुँह से ना निकली कोई बात
समय थम सा गया था जब मैने थामा था तुम्हारा हाथ
कितना सुखद अहसास था ना जाने कैसे थे अपने जज्बात
पहली बार जब शब्द फूटे थे तुम्हारे मुँह से मेरी कितनी मिन्नतों के बाद
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लगा की मेरा दिल अब मेरा ना रहा कही खो गया तुम्हारे जाने के बाद
कितनी मुश्किल से गुजरे वो दिन जब नहीं हुई मेरी तुमसे फ़ोन पर बात
उस समय ऐसा लगा मुझे के मेरे दिल को मिल गई एक साथ शह और मात
ख्वाहिश यही है अब मेरे परवरदिगार कभी कम ना हमारा एक दूजे के लिए प्यार
कभी ना बिछड़े कभी ना लड़े साथ मिलकर जिंदगी जीने के लिए रहे हमेशा तैयार
जिंदगी ऐसे जिए के कायम करे एक मिसाल जैसे हो अपना हर एक दिन कोई त्यौहार
दुःख में सुख में हमेशा रहे एक दूसरे के साथ सुखी गृहस्थ जीवन का यही है सार