गले लगा कर रोने को जी चाहता है
गले लगा कर रोने को जी चाहता है
परेशां तो बहुत हूँ तेरे हर बार रूठ जाने से मगर,
फिर से एक बार तुझे मनाने को जी चाहता है।
हर शाम ये जो तुम आ जाती हो मेरे ख्यालों में,
सच कहूँ तो अब तुझे भुलाने को जी चाहता है।
खुशी, ग़म, रंजिशें कुछ तो महसूस हो,
चले आओ कि फिर दिल दुखाने को जी चाहता है।
शिकायतें तो सौ हैं तुम्हें सुनाने को मगर,
गले लगा कर बस रोने को जी चाहता है।
