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Avinash Kumar Barnwal

Drama

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Avinash Kumar Barnwal

Drama

गले लगा कर रोने को जी चाहता है

गले लगा कर रोने को जी चाहता है

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परेशां तो बहुत हूँ तेरे हर बार रूठ जाने से मगर,

फिर से एक बार तुझे मनाने को जी चाहता है।


हर शाम ये जो तुम आ जाती हो मेरे ख्यालों में,

सच कहूँ तो अब तुझे भुलाने को जी चाहता है।


खुशी, ग़म, रंजिशें कुछ तो महसूस हो,

चले आओ कि फिर दिल दुखाने को जी चाहता है।


शिकायतें तो सौ हैं तुम्हें सुनाने को मगर,

गले लगा कर बस रोने को जी चाहता है।


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