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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

गीत लौट आओ सनम

गीत लौट आओ सनम

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लौट आओ सनम सुनके दिल की सदा, मर न जाये कही ये दीवाना तेरा

अब न बनाओ न कोई बहाना सनम, जान लेगा मेरी ये बहाना तेरा


आप क्यो ख़्वाब में मेरे आते रहे याद आते रहे दिल जलाते रहे

आप आना सके मेरे जीवन क्यो आप जाते रहे हम बुलाते रहे

अब भी हैं वक्त जीवन मे आओ तुम मेरा जीवन बदल देगा आना तेरा


आपका हस्ता चहरा सनम देखकर फूल हँसने मुस्कुराने लगे

तेरे दिल की धड़कन सुनकर सनम बाबरे भबरे गुनगुनाने लगे

हमको पतझड़ सा लगता हैं ए सनम हर घड़ी रूठ जाना तेरा


हमने तुमको सनम दे दिया अपना दिल ,देकर के दिल दर्द दिल ले लिया

जग को भूले तुझे याद करने लगे,

काम हमने बड़ा ए मुश्किल ले लिया

आप समझो समझलो दिल की सदा तू ही दुनिया हैं मेरी तू जमाना मेरा


 इस जहाँ में सनम और भी थे हँसी पर मैं बस तेरा ही दीवाना हुआ

प्यार करके तुझे ए मेरे सनम मै तो सारे जहाँ से बेगाना हुआ

मैं नहीं जानता अब तू ही बता धर्म क्यों हो गया हैं दीवाना तेरा।


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