गीत खुशी के गाएंगे
गीत खुशी के गाएंगे
जब प्रेम प्रीति का मीत मिले, हम गीत खुशी के गाएंगे
तब बैठ चाँद की चाँदनी में, खुशियों के फूल खिलाएंगे
गर्मी की भरी दोपहरी में, जब बरखा रानी आएगी
मंद पवन के संग संग, ठंडी फुहार फिर लाएगी
तन मन तब आनंदित होगा, खुशियाँ खूब मनायेंगे
जब प्रेम प्रीति का मीत मिले, हम गीत खुशी के गाएंगे
सर्दी की जब ऋतु जाएगी, बसंत बहार फिर आएगी
फिर पीपल की डाली पर, कोयल काली गाएगी
काले भौंरे फूलों के ऊपर, भ्रमर गीत फिर गाएंगे
जब प्रेम प्रीति का मीत मिले, हम गीत खुशी के गाएंगे
अम्बर में जब काले बादल, घुमड़ घुमड़ कर छाएंगे
बारिश की ठंडी बूंदों से, इस धरा को खूब नहलाएंगे
तब सोए हुए दादुर आकर, गीत मल्हार सुनाएंगे
जब प्रेम प्रीति का मीत मिले, हम गीत खुशी के गाएंगे
सावन की काली रातों में, जब काले मेधा गरजेंगे
विरह वेदना से घायल, तब कितनों के दिल तड़पेंगे
मिल जाएगा दिल का दिलवर, गीत प्यार का गायेंगे
जब प्रेम प्रीति का मीत मिले, हम गीत खुशी के गाएंगे ।