वो रात
वो रात
वो रात वाकई बहुत ख़ास थी
आंखों में नींद नहीं मगर
दिल में किसी के आने की आस थी
धड़कनों से तेज चल रही सांस थी
इश्क़ नहीं हुआ था मगर
कानों में गूंज रही किसी की आवाज थी
बैठा था कमरे के एक कोने में अकेले
आहट हुई कदमों की मगर
मुड़कर देखा तो वो, ना कहीं आसपास थी
वो रात वाकई बहुत ख़ास थी
आंखों में नींद नहीं मगर
दिल में किसी के आने की आस थी।