याद
याद
मैं कभी तुम्हें तन्हाई में याद करती हूँ,
तो कभी भरी महफल में याद करती हूँ
शायद,
तुम्हें मेरी कभी याद नहीं आती,
पर मैं तुम्हें याद करने की आदी हो गई हूँ,
और यही कारण हैं कि
प्रभु से हर पल, तुम्हारी फरियाद करती हूँ
कभी तुम्हारे ही ख्यालों में रहती हूँ
सिर्फ सखियों से ही दिल की बात करती हूँ
सच कहती हूँ मैं,
मैं आज भी सिर्फ तुम्हारा
ही इंतजार करती हूँ।
कभी तुम्हें तन्हाई में याद करती हूँ
तो कभी भरी महफिल में याद करती हूँ।