STORYMIRROR

jyoti pal

Abstract

4  

jyoti pal

Abstract

दिल में कितना दर्द रखते हो

दिल में कितना दर्द रखते हो

1 min
62


जिसे भूल जाना चाहिए

उसे याद करते हो

और आस पास के रिश्तों को

नजरंदाज करते हो

दिल में कितना दर्द रखते हो


सोचकर अतीत

समय बर्बाद करते हो

खुद होकर दुखी

अपनों को भी

परेशान करते हो

दिल में कितना दर्द रखते हो


जिसने दुख के दरिया में धकेला

उसके लिए फ़रियाद करते हो

गिरते अश्कों की तरह

हो जाते हो भावुक

इसीलिए,

तुम जल्दी फिसलते हो

दिल में कितना दर्द रखते हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract