आसान बात नहीं
आसान बात नहीं


रिश्तों को संभालना कोई आसान बात नहीं,
पर कोई ना समझे रिश्तों को
तो भी कोई बात नही,
बस, मन में बैर न हों
इतना काफी हैं,
अपने ही होंगे दुख में साथ, दूसरे तो नहीं
रिश्तों को संभालना कोई आसान बात नहीं
माना खड़केंगे बर्तन आपस में थोड़े बहुत
तुम्हारा घर ताश के पत्तों का तो नहीं,
लड़ते हो क्यों छोटी छोटी बातों पर
सिर्फ तुम ही तो नादान नहीं,
होती हैं गलतियां इंसानों से ही
इंसान कोई भगवान तो नहीं,
क्षमा करना भी सीखो
समझदार को गुस्सा करना
अच्छी बात नहीं,
रिश्तों को संभालना कोई आसान बात नहीं
जिंदा हो ना तुम,
हाँ, क्योंकि
मुर्दे बोलते नहीं,<
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यहीं हैं रिश्ते खुशियां यहीं,
कोई नहीं बुलायेगा
तुम्हें, तुम्हारे दुनिया से जाने के बाद!
समझना हैं तो समझो, वरना कोई बात नहीं
एक बात बताऊं?
रिश्ते निभाना हर किसी के बस की बात नहीं
रिश्तों को संभालना कोई आसान बात नहीं,
परिवार में रखो एकता,
भारतीय संस्कारों यही
राम-कृष्ण हो या कौरव-पांडव आदि
सीखो जिसमें तनिक भी बिखराव नहीं
सबको समझना जरूरी हैं
परिवार की हर परेशानी का हल,
हैं परिवार में ही,
बाहर ढोल बजाने की जरूरत नहीं,
एक दूसरे को कमियों कमियों के साथ अपनाओ
यहां कोई सर्वगुण सम्पन्न राम तो नहीं,
रिश्तों को संभालना कोई आसान बात नहीं।